त्रिजटा दोष निवारण: कुंडली का सबसे अशुभ राक्षस दोष और उसके उपाय
क्या आपकी कुंडली में भी है ‘त्रिजटा दोष’? वैदिक ज्योतिष के अनुसार, यह एक ऐसा राक्षस दोष है जो व्यक्ति के जीवन में अप्रत्याशित बाधाएं, दुर्भाग्य और गंभीर चुनौतियां लेकर आता है। इसे कुंडली के सबसे अशुभ योगों में से एक माना जाता है, जिसके प्रभाव से व्यक्ति को संतान, विवाह, धन और स्वास्थ्य संबंधी गंभीर समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। ज्योतिषी मानते हैं कि यह दोष सामान्य उपायों से शांत नहीं होता, बल्कि इसके लिए विशेष और शक्तिशाली त्रिजटा दोष निवारण पूजा की आवश्यकता होती है।

क्या है त्रिजटा दोष और क्यों है यह इतना अशुभ?
‘त्रिजटा दोष’ का नामकरण स्वयं इसकी गंभीरता को दर्शाता है। ज्योतिषीय ग्रंथों के अनुसार, यह दोष तब निर्मित होता है जब कुंडली में कुछ विशेष ग्रह स्थितियां और योग एक साथ सक्रिय होते हैं। ये योग मुख्य रूप से क्रूर ग्रहों (जैसे शनि, राहु, केतु, मंगल) और कुछ विशिष्ट भावों (जैसे 6ठे, 8वें, 12वें) के बीच के अशुभ संबंध से बनते हैं। ‘राक्षस दोष’ की श्रेणी में आने का कारण यह है कि इसके प्रभाव अत्यंत तीव्र और विध्वंसक होते हैं, जो व्यक्ति के भाग्य को पूरी तरह से पलट सकते हैं।
इस दोष के मुख्य लक्षण और प्रभाव निम्नलिखित हैं:
- संतान संबंधी बाधाएं: संतान प्राप्ति में अत्यधिक कठिनाई, बार-बार गर्भपात, या संतान का रुग्ण होना।
- वैवाहिक जीवन में कलह: पति-पत्नी के बीच गंभीर मतभेद, अलगाव, या दांपत्य सुख का अभाव।
- स्वास्थ्य समस्याएं: दीर्घकालिक या रहस्यमय बीमारियां, जो आसानी से ठीक नहीं होतीं।
- धन हानि और दरिद्रता: आय के स्रोतों में बाधा, संचित धन का नाश, और लगातार आर्थिक संकट।
- दुर्भाग्य और बाधाएं: हर कार्य में असफलता, अचानक आने वाली परेशानियां, और मानसिक अशांति।
- पितृ दोष से संबंध: कुछ ज्योतिषियों का मानना है कि त्रिजटा दोष का संबंध गहरे पितृ दोष से भी हो सकता है, जो पूर्वजों के कर्मों के कारण पीढ़ी-दर-पीढ़ी चलता है।
त्रिजटा दोष निवारण: जटिल हवन विधि और इसका महत्व
ज्योतिषी श्री सुमिताचार्य जी महाराज जैसे अनुभवी वैदिक विद्वान बताते हैं कि ‘त्रिजटा दोष’ का निवारण एक अत्यंत संवेदनशील और जटिल प्रक्रिया है। यह कोई सामान्य पूजा नहीं, बल्कि एक शक्तिशाली हवन अनुष्ठान है, जिसे पूर्ण विधि-विधान से संपन्न करना अनिवार्य है।
क्यों यह पूजा इतनी कठिन और प्रभावी मानी जाती है?
- जटिल मंत्र और अनुष्ठान: त्रिजटा दोष के शमन के लिए विशिष्ट और दुर्लभ वैदिक मंत्रों का जाप किया जाता है, जिनकी संख्या हजारों में हो सकती है। इन मंत्रों का उच्चारण शुद्धता और सही लय के साथ करना आवश्यक है।
- तीन ब्राह्मणों की आवश्यकता: इस विशेष हवन को सफलतापूर्वक संपन्न करने के लिए कम से कम तीन अनुभवी और सिद्ध ब्राह्मणों की आवश्यकता होती है। प्रत्येक ब्राह्मण एक विशिष्ट पहलू पर केंद्रित होता है – एक मंत्र जाप के लिए, दूसरा आहुति और ग्रह शांति के लिए, और तीसरा अनुष्ठान की संपूर्णता और शुभता सुनिश्चित करने के लिए। यह सुनिश्चित करता है कि पूजा की ऊर्जा अधिकतम हो।
- विशिष्ट सामग्री और समय: इस हवन में उपयोग की जाने वाली सामग्री अत्यंत विशिष्ट और दुर्लभ होती है, जो सामान्य पूजा में नहीं मिलती। साथ ही, पूजा का समय और मुहूर्त भी कुंडली के अनुसार बहुत सावधानी से निर्धारित किया जाता है ताकि अधिकतम लाभ प्राप्त हो सके। यह पूजा अक्सर कई घंटों तक चलती है, जो इसकी जटिलता को दर्शाता है।
- उच्च ऊर्जा और शुद्धता: यह हवन दोष के मूल कारणों को लक्षित करता है और कुंडली में नकारात्मक ऊर्जा को शुद्ध करने का प्रयास करता है। यह एक ‘महापूजा’ की तरह होती है, जिसमें जातक की उपस्थिति और श्रद्धा भी महत्वपूर्ण होती है।
- लागत और समर्पण: इसकी जटिलता, आवश्यक सामग्री और अनुभवी ब्राह्मणों की संख्या के कारण, यह पूजा सामान्यतः महंगी होती है। यह जातक के लिए एक बड़ा समर्पण भी मांगती है, क्योंकि इसमें समय, धन और गहरी श्रद्धा की आवश्यकता होती है। इसे कोई सस्ता या आसान उपाय नहीं माना जा सकता।
त्रिजटा दोष शांति हवन कैसे करें (संक्षिप्त रूपरेखा):
यह हवन एक लंबी और गहन प्रक्रिया होती है, जिसमें मुख्य रूप से निम्नलिखित चरण शामिल होते हैं:
- संकल्प: जातक द्वारा अपने नाम, गोत्र और उद्देश्य के साथ पवित्र संकल्प लेना।
- गणेश पूजन: किसी भी शुभ कार्य से पहले भगवान गणेश का आवाहन और पूजन।
- नवग्रह पूजन: सभी नौ ग्रहों की शांति और आशीर्वाद के लिए पूजा।
- त्रिजटा दोष विशिष्ट मंत्र जाप: योग्य ब्राह्मणों द्वारा दोष शांति के लिए विशिष्ट मंत्रों का लाखों की संख्या में जाप।
- हवन और आहुति: पवित्र अग्नि में विशेष हवन सामग्री, घी और जड़ी-बूटियों से मंत्रों के साथ आहुति देना।
- पूर्णाहुति: हवन के समापन पर सभी देवताओं को पूर्ण आहुति अर्पित करना।
- ब्राह्मण भोजन और दक्षिणा: पूजा के बाद ब्राह्मणों को श्रद्धापूर्वक भोजन कराना और पर्याप्त दक्षिणा देना।
निष्कर्ष:
‘त्रिजटा दोष’ एक गंभीर ज्योतिषीय स्थिति है जिसके विनाशकारी प्रभाव हो सकते हैं। हालांकि, ज्योतिषी श्री सुमिताचार्य जी महाराज जैसे विद्वानों के मार्गदर्शन में, इसका सफल त्रिजटा दोष निवारण हवन के माध्यम से किया जा सकता है। यह एक जटिल और शक्तिशाली अनुष्ठान है जिसमें तीन अनुभवी ब्राह्मणों की आवश्यकता होती है, जो इसे एक महंगी और कठिन पूजा बनाता है, परंतु इसके परिणाम जीवन में सकारात्मक परिवर्तन ला सकते हैं। यदि आपकी कुंडली में यह दोष है, तो किसी सिद्ध ज्योतिषी से सलाह लेकर उचित निवारण अवश्य कराएं।
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घर में नकारात्मक ऊर्जा का वास महसूस होता था। श्री सुमिताचार्य जी महाराज ने त्रिजटा दोष निवारण के लिए हवन किया, और अब घर का वातावरण बहुत सकारात्मक और हल्का महसूस होता है। अद्भुत अनुभव!
I was struggling with financial hardship. Under the guidance of Shri Sumitacharya Ji, I had the Trijata Dosh Shanti Hawan performed. Gradually, my financial situation started improving. This is all due to Maharaj Ji’s divine power.